Saturday, June 12, 2010

कब तुझ से हम बेगाने हो चले..

कब तुझ से हम बेगाने हो चले,
ऐ मेरे मुल्क अब तो मुझे बता
तेरी गलियों से कब हम अनजाने हो चले|

सीख तुझ से ली मैंने हर कदम,
और अब वो कदम .. तेरे पैमाने पर अब बेमाने हो चले|
ऐ मेरे मुल्क अब तो मुझ को बता,
कब हम तुझ से अनजाने हो चले||

ना राह बदली और ना बदला मेरा वो ठिकाना,
ना लोग बदले और ना बदला वो ज़माना|
क्यूँ बदल गया मेरा मन इतना,
जो तुझ से हर मुकाम पर, बस एक सवाल कर चले,
क्यूँ ना हम तुझ से अब.. अनजाने हो चलें||