एक रागनी जिसे सुन कर मेरी बेटी भी थिरकती है और मैं भी ....
तू राजा की राज दुलारी, मैं सिर्फ़ लंगोटे आला सूं.
भांग रगड़ कै पिया करूँ मैं कुण्डी सोटे आला सूं।।
तू राजा की छोरी सै, म्हारे एक भी दासी दास नही,
शाल-दुशाले औद्हन आली, म्हारे काम्बल तक भी पास नही।
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मुझे नही पता था की मेरी बेटी भी अपनी हरयान्वी से उतनी हे जुड़ी हुई है जितना की मैं। वक्त ने साथ निभाया तो उसकी हर सालगिरह पर उसका ये हरयान्वी प्रेम और उभर कर सामने आएगा।
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