Friday, April 2, 2010

ek shaam.. kuch naye doston ke saath

आज फिर बहुत दिनों बाद लिखने का लुत्फ़ उठा रहा हूँ,
कुछ नए दोस्तों की महफ़िल के जाम.. आज फिर बतला रहा हूँ|

नहीं बदला है बहुत कुछ, पर इतफ़ाक है कुछ ऐसा..
पुरानी कहानी.., फिर नए जाम के नाम बतला रहा हूँ|

हुस्न था ना करीब मेरे, पर मदहोशी ने मुझे घेर लिया,
देखा था जिसे बरसों पहले, उस लम्हे ने फिर एक फेर लिया|
जिक्र करूँ मैं क्या उसका, जिसने देखने से भी मूंह फेर लिया
पलक झपकी कि गहरी परछाइयों ने मुझे घेर लिया||

आज फिर उस जिक्र का.. जिक्र किये जा रहा हूँ,
पुरानी कहानी... फिर नए जाम के नाम बतला रहा हूँ||

शाम निकली कुछ इस कद्र, मदहोश कर चली,
पुरानी यादों की कड़ी, फिर नए धागे में पिरो चली|
हुस्न की तारीफ.. बस किये जा रहा हूँ,
पुरानी कहानी... फिर नए जाम के नाम बतला रहा हूँ||

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